भारतीय किसान संघ की मांग -किश्तों में नही एकमुस्त दी जाय अंतर की राशि
छत्तीसगढ़ सरकार के द्वारा 21 मई से राजीव गांधी किसान न्याय योजना की शुरुवात की है , इस योजना से सरकार द्वारा घोषित धान के खरीदी मूल्य 2500 रु की शेष बचे हुए अंतर की राशि को चार किस्तो में किसानों के खाते में डाला जा रहा है,इस संबंध में भारतीय किसान संघ के जिला अध्यक्ष भुनेश्वर साहू ने कहा कि - अंतर की राशि किस्तो में न देकर एकमुस्त दिया जाना चाहिए जिससे किसानों का भला हो सके !श्री साहू ने कहा कि न्याय योजना के हिसाब से 10 हजार रु प्रति एकड़ 4 किस्तो में बाटने पर एक बार मे किसान को ढाई हजार दिया जा रहा है ! एक एकड़ वाले ऐसे लगभग 70से 80℅ किसान है ! वर्तमान कोरोना संकट के समय जिला सहकारी बैंकों में किसानों की पैसा निकालने के लिए बेतहासा भीड़ शासन प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती भी बना हुआ है ,बार बार बैंकों में जाकर लाइन लगाकर पैसे के लिए बड़ी संघर्ष की स्थिति बनी हुई है छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा अपने आम बजट में एकमुस्त राशि देने का जब प्रावधान किया जा चुका है तब किस्तो में राशि का भुगतान करना छत्तीसगढ़ के लाखों किसान परिवार के साथ एक भद्दा मजाक किया जा रहा है !2500रु प्रति कविंटल के भाव से धान खरीदी करने का वचन पत्र स्वयं इस सरकार की है इसमें और अन्य बात करके किसानों को भ्रमित करना किसानों के साथ धोखा है ! पिछले वर्ष इसी सरकार ने पूरा राशि किसानों के खाते में एकमुस्त डाल दिया था उस समय कोई प्रशासनिक अड़चन क्यो नही आई और अब केंद्र सरकार का बहाना बनाकर इसे किसान न्याय योजना का नाम दिया जा रहा है,बैंकों के पास इतना वर्क लोड है कि एक क़िस्त के पैसा को बांटने में उसे कम से कम 2 माह का समय लगेगा , 4क़िस्त में पैसा बाटने में पूरा 1वर्ष लग जाएगा ,एक दिन में लगभग 100से 150 किसान को ही भुगतान किया जा सकता है,वर्तमान समय मे नवतपा के कारण भीषण गर्मी से सभी लोग बेहाल है ऐसे समय मे किसान सुबह से शाम तक बैंकों में लाइन लगाकर अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं ! बैंकों का हालत यह है कि वह मुख्य दरवाजे पर ताला लगाकर खिडख़ियो से राशि भुगतान कर रहे है ! किसानों के बैठने या खड़ा होने के लिए कई बैंकों में छाया या पानी की भी ब्यवस्था नही है,अन्नदाता किसानों का इतना अपमान किसी भी शासन तंत्र के लिए बहुत ही सोचनीय विषय है ,इस व्यवस्था पर पुनः विचार करने की जरूरत है अन्यथा किसानों को उनके सोसायटी केंद्रों पर ही स्वाइप मशीन के माध्यम से नगद भुगतान की व्यवस्था किया जाय,जिससे अब्यवस्था को रोका जा सके,आगे भुनेश्वर साहू ने कहा कि पूरी दुनिया का पेट भरने वाला किसान अपने मेहनत की कमाई के लिए दर दर भटक रहा है इस पर तत्काल विचार होना चाहिए ,
तामेश्वर साहू ,गरियाबंद
छत्तीसगढ़ सरकार के द्वारा 21 मई से राजीव गांधी किसान न्याय योजना की शुरुवात की है , इस योजना से सरकार द्वारा घोषित धान के खरीदी मूल्य 2500 रु की शेष बचे हुए अंतर की राशि को चार किस्तो में किसानों के खाते में डाला जा रहा है,इस संबंध में भारतीय किसान संघ के जिला अध्यक्ष भुनेश्वर साहू ने कहा कि - अंतर की राशि किस्तो में न देकर एकमुस्त दिया जाना चाहिए जिससे किसानों का भला हो सके !श्री साहू ने कहा कि न्याय योजना के हिसाब से 10 हजार रु प्रति एकड़ 4 किस्तो में बाटने पर एक बार मे किसान को ढाई हजार दिया जा रहा है ! एक एकड़ वाले ऐसे लगभग 70से 80℅ किसान है ! वर्तमान कोरोना संकट के समय जिला सहकारी बैंकों में किसानों की पैसा निकालने के लिए बेतहासा भीड़ शासन प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती भी बना हुआ है ,बार बार बैंकों में जाकर लाइन लगाकर पैसे के लिए बड़ी संघर्ष की स्थिति बनी हुई है छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा अपने आम बजट में एकमुस्त राशि देने का जब प्रावधान किया जा चुका है तब किस्तो में राशि का भुगतान करना छत्तीसगढ़ के लाखों किसान परिवार के साथ एक भद्दा मजाक किया जा रहा है !2500रु प्रति कविंटल के भाव से धान खरीदी करने का वचन पत्र स्वयं इस सरकार की है इसमें और अन्य बात करके किसानों को भ्रमित करना किसानों के साथ धोखा है ! पिछले वर्ष इसी सरकार ने पूरा राशि किसानों के खाते में एकमुस्त डाल दिया था उस समय कोई प्रशासनिक अड़चन क्यो नही आई और अब केंद्र सरकार का बहाना बनाकर इसे किसान न्याय योजना का नाम दिया जा रहा है,बैंकों के पास इतना वर्क लोड है कि एक क़िस्त के पैसा को बांटने में उसे कम से कम 2 माह का समय लगेगा , 4क़िस्त में पैसा बाटने में पूरा 1वर्ष लग जाएगा ,एक दिन में लगभग 100से 150 किसान को ही भुगतान किया जा सकता है,वर्तमान समय मे नवतपा के कारण भीषण गर्मी से सभी लोग बेहाल है ऐसे समय मे किसान सुबह से शाम तक बैंकों में लाइन लगाकर अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं ! बैंकों का हालत यह है कि वह मुख्य दरवाजे पर ताला लगाकर खिडख़ियो से राशि भुगतान कर रहे है ! किसानों के बैठने या खड़ा होने के लिए कई बैंकों में छाया या पानी की भी ब्यवस्था नही है,अन्नदाता किसानों का इतना अपमान किसी भी शासन तंत्र के लिए बहुत ही सोचनीय विषय है ,इस व्यवस्था पर पुनः विचार करने की जरूरत है अन्यथा किसानों को उनके सोसायटी केंद्रों पर ही स्वाइप मशीन के माध्यम से नगद भुगतान की व्यवस्था किया जाय,जिससे अब्यवस्था को रोका जा सके,आगे भुनेश्वर साहू ने कहा कि पूरी दुनिया का पेट भरने वाला किसान अपने मेहनत की कमाई के लिए दर दर भटक रहा है इस पर तत्काल विचार होना चाहिए ,
तामेश्वर साहू ,गरियाबंद