रात 12 बजे रेत माफ़िया होते है सक्रिय, देते है अवैध कारोबार को अंजाम

रात 12 बजे रेत माफ़िया होते है सक्रिय, देते है अवैध कारोबार को अंजाम

गरियाबंद :- फिंगेश्वर ब्लॉक के ग्राम कुण्डेल व तरीघाट के नदी में चल रहा अवैध रेत उत्खनन15 जून से 15 अक्टूबर तक नदी से रेत निकालने की अनुमति नही है, मानसून के मौसम में नदियों में पानी का जल स्तर बढा रहता है, जिसकी वजह से सभी रेत घाटों को प्रशासन द्वारा बंद कर दिया जाता है, पर
इन सब के बावजूद रात के अंधेरे में ऐसे रेत चोर जिसे आम भाषा मे रेत माफ़िया भी कह सकते है,जो रात के अंधेरे में  जिला प्रशासन, गांव के ग्रामीण व अंचल के जनप्रतिनिधियों को बड़ी चुनौती दे कर रात्रि 2 से 3 बजे रेत का काला कारोबार कर मोटी रक़म कमा रहे है,मामला फिंगेश्वर ब्लॉक के ग्राम पंचायत कुण्डेल का है, जहां आस पास के कुछ लोगो ने बताया कि ग्राम तरीघाट और कुण्डेल के बीच मे स्थित नदी से चोरी छुपे रात में कुछ अंचल के दिन के उजाले के प्रतिष्ठित लोग रात के अंधेरे में काला कारोबार को अंजाम दे रहे हैं,जब कि यहां प्रशासन द्वारा किसी भी तरह का कोई रेत घाट की प्रशासनिक स्वीकृत नही है। लेकिन रेत माफिया रेत निकालने सीधे चैनमाउंटेन या जेसीबी को नदी में उतार कर हाईवा में रेत को लोडिंग करवा कर परिवहन करवाते है..

रात 12 बजे होते है सक्रिय, सुबह होते तक कमा लेते है 30 से 40 हजार


दिन के उजाले में पकड़े जाने के डर से रेत माफ़िया रात के वक्त को चुनते है,और रात करीब 12 बजे से सुबह 3 से 4 बजे के बीच ही रेत निकालते है, और मोटी रकम में रेत को बेच देते है,सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार रात के अंधेरे का यह कारोबार उनके लिए बेहद फायदेमंद होने की वजह से रात्रि जागरण कर 30 से 40 हजार तक कमाई एक रात में कर लेते है,बताते है की रात में करीब 5 - 6 हाईवा में रेत लोडिंग किया जाता है। जिसे कुण्डेल , सिर्रीखुर्द,खुटेरी,   बिजली होते हुए पुरेना मोड़ पहुँचते है, जहां से हाईवा चालको को फिंगेश्वर राजिम मुख्य मार्ग मिल जाता है।जहां से उन्हें रायपुर की ओर जाने में आसानी हो जाता है,प्राप्त जानकारी के अनुसार इस तरह के अवैध कारोबार में वे लोग शामिल है, जो दिन के उजाले में समाज मे प्रतिष्ठित बनने की कोशिश करते है, पर वही रात में अवैध काम को अंजाम देते हैं..!

तामेश्वर साहू , प्रधान संपादक