लक्ष्मी नारायणा हॉस्पिटल का मालिक बना आयुष्मान कार्ड के पैसे हड़पने के चक्कर मौत का सौदागर.
जिला चिकित्सालय महासमुंद में पदस्थ सर्जन डॉ नरेंद्र नरसिंग द्वारा लक्ष्मी नारायणा हॉस्पिटल एवम उनके निजी नानक हॉस्पिटल रायपुर में गलत तरीके से इलाज के दौरान आदिवासी महिला की हुई मौत..?
गरियाबंद :- डाक्टर भगवान का दूसरा रूप होते है , ये कहावत बहुत पहले सुनने में बहुत अच्छी लगती थी , ओर वो सच में भगवान का रूप ही होते थे, क्यूंकि भगवान के बाद एक वोही तो थे जो इंसान को मौत के मुंह ने निकाल लेते थे ,लेकिन जैसे जैसे इंसान का लालच बड़ा वैसे वैसे डाक्टर की भगवान के रूप वाली परिभाषा बदल गई अब डाक्टरों के लिए पैसा कमाना है सब कुछ है किसी मरीज का जरा सा पेट हुआ तो सर्जरी कर दो किसी कि नॉर्मल डिलीवरी होनी है तो डरा कर सिजेरियन कर दो ओर तो ओर जो दवाई इनके हॉस्पिटल में मिलती है वो दूसरी कहीं जगह नहीं मिल सकती, कहीं ओर से कराया टेस्ट नहीं माना जाएगा दुबारा इन्हीं के लैब से कराओ, वगेरह वगेरह, ओर सबसे घिनौना रूप तो तब सामने आया जब कुछ साल पहले अंगो को तस्करी में कई नामी हॉस्पिटल और डाक्टर भी शामिल पाए गए , कुछ समय पहले तक में भी डाक्टरों को किसी दरिंदे से कम नहीं समझती थी, लेकिन कहते हैं ना कि हाथ की पांच उंगलियां एक बराबर नहीं होती ,और इंसान को उसके कर्मों का पश्चाताप करने का एक मौका भी मिलता है।वैसे तो आज पैसे कमाने के लिए लोग कई तरह से हथकंडे अपना रहे है, किन्तु किसी के जान के साथ खिलवाडकर पैसे कमाने वालों की आज बाजार में होड सी लग गई है। बता दे कि, केन्द्र सरकार व राज्य सरकार लोगों को अच्छी स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने के लिये करोड़ों रूपये की सौगात दे रहे है। शासन द्वारा लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान कराने की नीयत से ग्रामीण अंचलों चलो में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र व उप स्वास्थ्य केन्द्र बनाये गये है। इसका उद्देश्य ग्रामीण अचल में लोगों को कम समय में बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मुहैया करना है। इसे लेकर शासन द्वारा एमबीबीएस डाक्टरों की नियुक्ति भी की गई है, लेकिन स्वास्थ्य केन्द्रों में डाक्टरों के न रहने से ग्रामीण अचल के लोग आज भी बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं से वंचित हो रहे है। सवाल यह उठता है कि क्या ग्रामीण अंचल के लोगों को एक अच्छी और बेहतर स्वास्थ्य सुविधा की दरकार नहीं है। हमेशा से ही ग्रामीण अंचल के लोगों को ही ठगा जा रहा है क्यों और कब तक ऐसा ही मामला जिला गरियाबंद के विकासखंड छुरा स्थित लक्ष्मी नारायण हास्पिटल का जहा एक आदिवासी महिला की गलत तरीके से सर्जरी कर मौत के मुह में ढकेल दिया गया।प्राप्त जानकारी के अनुसार मामूली पेट दर्द के चलते वार्ड क्रमांक 03 ग्राम कुल्हाडीघाट, मैनपुर जिला गरियाबंद निवासी श्रीमती गैन्दू बाई ध्रुव 35 वर्षीय आदिवासी महिला को घुरा स्थित लक्ष्मी नारायणा हास्पिटल में विगत दिनांक 10.04.2024 को दाखिल किया गया। दाखिल पश्चात हास्पिटल संचालक व जिम्मेदार चिकित्सकों द्वारा सफल ईलाज हो जायेगा का आश्वासन दिया गया। आश्वासन पश्चात मरीज श्रीमती गैन्दूबाई ध्रुव को दिनांक 11:04 2024 को सिटी स्कैन हेतु राजिम के डायग्नोसिस सेंटर ले जाया गया। सिटी स्कैन बाद लक्ष्मी नारायण हास्पिटल संचालक व चिकित्सकों द्वारा मरीज के परिजनों को कहा गया कि मरीज को हिस्टरेक्टमी यानी बच्चेदानी का कैंसर है इनका सर्जरी करना पड़ेगा नहीं तो मरीज की जान को खतरा है कहते हुये मरीज श्रीमती गैन्दूबाई ध्रुव को सर्जरी कर दिया गया। सर्जरी पश्चात मरीज को दस से ग्यारह दिनों तक लक्ष्मी नारायणा हास्पिटल में रखा गया। बाद मरीज को डिस्चार्ज कर दिया गया। उनके परिजनों द्वारा मरीज को घर ले जाया गया। ईलाज में कुछ प्रोग्रेस नहीं होने की वजह से लक्ष्मी नारायणा हास्पिटल के संचालक व चिकित्सक को मरीज के परिजनों द्वारा संपर्क करने पर मरीज को रायपुर ले आओं ऐसा कहते हुये रायपुर स्थित नानक हास्पिटल में पुन दाखिल किया गया फिर से वही प्रोसेस सिटी स्कैन फिर जाच फिर डिस्चार्ज का सिलसिला चलते गया और अंतत आदिवासी महिला को इसकी कीमत अपनी जान देकर चुकानी पड़ी है ज्ञात हो की मृतक का पति भागीरथी मरकाम वाहन चालक हैं जिनके दो पुत्र एवं एक सुपुत्री गजेन्द्र मरकाम 19. कु अनिला मरकाम 14 कुबेर मरकाम 08 वर्ष के है।
लक्ष्मी नारायणा हास्पिटल का आयुष्मान कार्ड के अलावा फोन पे व नगद जमा
दिनाक 11.04 2024- लक्ष्मी हास्पिटल को फोन पे 400000, सिटी स्कैन राजिम को 4500.00.12.04 2024 को फोन पे 20000.00.15.04.2024 को 7000.00 नगद काउंटर में 18.04.2024 को 6500.00 नगद जमा।
नानक हास्पिटल रायपुर का आयुष्मान कार्ड के अलावा फोन पे व नगद जमा
दिनाक 02.05.24-5000 नगद जमा व 8000.00 फोन पे 04.05.24 को 10000.00 नगद जना, 06.05.24 को 10000.00 नगद, सिटी स्कैन भवानी डायग्नोसिस्ट रायपुर को 6000.00 नगद जमा। 02.05.24 को आयुष्मान कार्ड से डिडक्ट का डिटेल्स 32000.00 निकाला गया।
मृतक गैंदू बाई ध्रुव ने रायपुर के मेकाहारा में ली अंतिम सांस
जिस तरह से आदिवासी महिला से ये लोग खेलते रहे है और अपना ज्ञान के साथ नए प्रशिक्षु को भी ज्ञान बढ़ाते रहे जिसका नतीजा महिला की मौत हो गई और सबसे बड़ी बात सामने आई की मृतक का पोस्ट मार्टम भी नही किया गया और परिवार को सुपुर्द कर मामला कफन दफन कर दिया गया।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश से बनीं गाइडलाइंस, बिना जांच ऑपरेशन पर रोक
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद हिस्टरेक्टमी के लिए गाइडलाइंस बनी। अब 40 साल से कम उम्र की महिला का यूट्रस निकालने से पहले उसकी पूरी जांच होगी। हर जिले में एक मॉनिटरिंग कमिटी होगी, जो देखेगी कि वाकई महिला को ऑपरेशन की जरूरत है या नहीं। हिस्टरेक्टमी का हर केस दर्ज होगा। जिसमें महिलाओं की उम्र, गर्भाशय निकालने की वजह और हॉस्पिटल की पूरी जानकारियां शामिल होंगी।
तामेश्वर साहू,गरियाबंद